अथाह गहराई सीमाओं में नहीं सिमट सकती
लेकिन जरूरी है उन अनमोल पलों की अभिव्यक्ति
आइए लौटते हैं महागुरु की कोमल स्मृतियों की ओर
हमारे अन्तर्मन में जिसका नहीं कोई छोर
अवलोकन
महागुरु की जीवनी लिखना असंभव है, जिनकी उपस्थिति और दर्शन ने कई जीवन बदल दिए। आज तीस साल बाद जब मैं उनके बारे लिख रहा हूं, तो मेरी कलम ये अंतर नहीं कर पा रही कि वे वास्तव में क्या थे और हमने उन्हें किस स्वरूप में देखा।
मैंने साल 2009 से गुरुदेव के जीवन पर शोध करना शुरू किया था, किन्तु इसे लिखने में ग्यारह साल लग गए। इस दौरान उनके कई शिष्य आगे बढ़ गए, और पीछे छोड़ गए कुछ कही-अनकही कहानियां। महागुरु अत्यधिक विनम्र थे और ओट में रहते हुए प्रचार-प्रसार से सदैव दूर रहते थे। इसलिए, उनके बारे में सारी जानकारियों या तो मेरी निजी हैं या उनके शिष्यों, भक्तों और परिवार से प्राप्त हुई हैं।
वक्त के तेज बहाव में कई यादें मुरझा जाती हैं। हम अक्सर बड़ी उपलब्धियों को याद रखते हैं और उन छोटी-छोटी बातों को भूल जाते हैं, जिनसे सफलता की ये कहानी पूरी होती है। इसलिए भले ही यह सच है कि मेरे पास गुरुदेव की अनेक विलक्षण कहानियों का भंडार है, पर मैं जानबूझ कर उन्हें आपके साथ साझा नहीं कर रहा हूं क्योंकि अविश्वसनीय रूप से सच होने के बावजूद या उनकी विलक्षणता के कारण आप उन्हें काल्पनिक मान सकते हैं।
समय के साथ कहानी की कल्पना भी नए सिरे से होने लगती है, जिसमें कुछ सामयिक बदलाव भी आ जाते हैं। एक अल्पविराम, रोजमर्रा की कहानियों में आश्चर्य पैदा कर देता है। इसीलिए छोटी-छोटी कहानियां जिनकी हम पूरी तरह से व्याख्या नहीं सकते थे, उनका इस जीवनी में उल्लेख नहीं किया गया है। शेष कहानियां जीवन-गाथा, जीवन दर्शन, जीवन के रहस्य तथा गुरुदेव और महाशक्तियां जैसे शीर्षकों के तहत कई खंडों में रखी गई हैं।
हंसमुख और सादगी पसंद व्यक्ति को रसात्मक भाषा में प्रस्तुत किया जाना उचित नहीं है। आध्यात्मिकता के शिखर तक पहुंचने के लिए उन्होंने जो कठिनाइयां झेलीं, उसको भावपूर्ण या मुहावरेदार भाषा में प्रस्तुत नहीं किया जा सकता। इस वेबसाइट में दी गई सामग्री सत्यापित जानकारियों पर आधारित है। इस तरह की प्रमाणिकता, उनके सर्वज्ञान के प्रति आम धारणा को सीमित कर सकती है। एक व्यक्ति के रूप में, उनका जीवन बेहद नपा-तुला था, लेकिन महागुरु के रूप में, उनकी थाह लेना असंभव है।
इस क्रमानुगत जीवनी का उद्देश्य इस आध्यात्मिक महागुरु का ऐसा स्वरूप प्रस्तुत करना है, जिसमें उनका महिमामंडन ना हो, बल्कि ये हमें महागुरु के समान उपलब्धियां प्राप्त करने के लिए प्रेरित करे। प्रेरणा की कोई भी कहानी तब तक अधूरी है, जब तक वो लोगों को प्रेरित नहीं करती। उनके दर्शन और उनकी कृपा के प्रति पूर्ण समर्पण करने की क्षमता उन लोगों के लिए कारगर रहेगी, जो स्वतंत्रता या मुक्ति का पारितोषिक चाहते हैं।
अगर आप ऐसा चाहते हैं तो मेरी शुभकामनाएं आपके साथ हैं!